आज के वचन पर आत्मचिंतन...

यर्मियाह परमेश्वर की प्रजा को बता रहा था की ७० वर्ष की विपदा के बाद , परमेश्वर उनको छुड़ाएगा और पुनःस्थापित करेगा। इसके बावजूद के उन्होंने परमेश्वर को बार बार छोड़ा है, परमेश्वर उनको न छोड़ेगा और न अपने वाचा तोड़ेगा। वह विश्वासयोग्य बना रहेगा। बल्कि , परमेश्वर उनके लिए एक उज्वल भविष्य की योजना बना रहा और तैयारी भी कर रहा था। यह वाचा हमे यह भी याद दिलाता है की यह मायने नहीं रखता की हमारी व्यक्तिगत निराशा चाहे कितनी भी गहरी क्यों न हो , परमेश्वर के पास हमारे लिए एक योजना जरूर होती है । वह हमे छुड़ाएगा और आशीषित करेगा । हम एक जोशपूर्ण आशा और एक उज्वल भविष्य पा सकते है उसके विश्वासयोग्यता के कारन और उसके पुत्र येशु पर हमारे भरोसे के कारन जो हमे हर विरोधियो से छुड़ाता है ।

मेरी प्रार्थना...

मुझे विश्वास दे हे प्रभु, जब मै थका हुआ , निराश और हरा हुआ हूँ । तेरी महान वचाओ पर भरोसा करने के लिए मुझे प्रोत्साहित कर। कृपया मुझे हियाव दे , हे प्रभु जब मेरा विश्वास हिल जाये। मुझे सहायता कर की मै तेरी आज्ञाओं लो मानु चाहे कितना भी चुनौतीपूर्ण क्यों न दिखाई दे या चाहे कितना भी निराश मै महसूस मै कर रहा हूँ। येशु में मुझे एक उज्वल भविष्य दे के लिए धन्यवाद् । इस महान भेट के प्रति जानकर जागरूक जीवन जीने के लिए कृपया मुझे सहायता कर। येशु के नाम से प्रार्थना करता हूँ । आमीन ।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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