आज के वचन पर आत्मचिंतन...

"अब सब आप पैर ही है !" यह प्रबल मानसिक्ता हमारी दुनिया के महत्वकांशी लोगो की है । परन्तु यह गलत है । किसी महान चीज के निर्माण और उसका भाग बनने की हमारी मेहनत अंततः व्यर्थ हो जाती है अगर प्रभु उन्हें अशिक्षित नहीं करते । कुछ समय के लिए तो वह हमारे अत्यंत मेहनत के निचे काम करते है, पर यदि महान चीजों की योजनाए और निर्माण प्रभु की और से न हो तो , वे परीक्षा में स्थिर नहीं खड़े हो पाएंगे ।

मेरी प्रार्थना...

सर्वशक्तिमान परमेश्वर और अनंत पिता , मुझे क्षमा करे की सब कुछ मैंने अपने ही परिश्रम से और कठोर कार्य से कार्यगत करने की कोशिश करता रहा । आप मेरे कार्य को कही बेहतर रूप से अपने राज्य के लिए कर सकते है जितना मई अपने चिंताओं से चिड़चडेपन से भी कभी नहीं कर सकता । कृपया मेरे जीवन के हर पहलु में मेरी अगुवाई कर ; जो तेरी इच्छा के अनुरूप न हो उनमे मुझे हरा दे और उन्हें सामर्थ देना जिनसे तुझे महिमा मिले और जिससे दूसरे तेरे अनुग्रह के करीब आ सके । येशु के नाम से प्रार्थना करता हूँ । अमिन ।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

टिप्पणियाँ