आज के वचन पर आत्मचिंतन...

विश्वासी होने के नाते हमारा लक्ष्य इस संसार में यह हैं की हम येशु मसीह की पूर्ण उपस्तिथि में परिपकव होना हैं, उसकी संघठित विश्वासियों की देह होने के द्वारा। यह चुनौतीपूर्ण लक्ष्य केवल तभी पूरा हो सकता हैं यहदि हम सत्य कहें— परमेश्वर की आत्मा प्रेरित सन्देश — और प्रेमी व्यहवार के द्वारा करें भी। हम कैसे अपेक्षा कर सकते हैं की परमेश्वर के प्रेम का सन्देश पहुंचे जिसने यीशु को भेजा, यदि हम us प्रेम को खुद जी नहीं रहे हो ?

मेरी प्रार्थना...

सर्वसमर्थी और तयाग करनेवाले परमेश्वर, मेरी सहयता करें की मैं अपनी सारी मलिनता और अनुचित व्यहवार को कैद कर लूँ और उन्हें आपके प्रेम में पहिना दू । मुझे पवित्र करनेवाली और बदलदेनेवाली पवित्र आत्मा की उपस्तिथि की आवशक्यता हैं और भी अधिक उपस्तिथ मेरे दैनिक जीवन में, इस लिए कृपया मुझे भरे और आत्मा के फल मेरे व्यहवार और कामों में और अधिक वास्तविक बनायें । प्रभु यीशु के नाम से मैं प्रार्थना कर्त हूँ। अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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