आज के वचन पर आत्मचिंतन...

"परमेश्वर का भय" यह पुराने नियम का महान विषय है । इसको अनुवाद करना इतना सरल नहीं विशेषकर जब बारबार बाईबल में "मत डर " इस विषय पर सन्देश दोहराए गए है और योहन्ना भी स्मरण दिलाता है की "सिद्ध प्रेम भय को दूर कर देता है"। जिसका मतलब यह है की अधिक "परमेश्वर को आदर से पकडे रहे"। सामान्यतः "परमेश्वर का भय " का मतलब है की हम अपनी जगह स्मरण रखे चीजों के क्रम में । हम जानते है की हमारे पवित्र पिता जो स्वर्ग में है उनके द्वारा हम गहराई से प्रेम किये गए है। हम यह स्वीकार करते है की तुलनात्मक रूप में हम कमजोर और पापी है और परमेश्वर की दया और अनुग्रह द्वारा बचाये गए है । हम यह मानते है की उसका प्रताप और पवित्रता हमसे काफी उप्पर है और हम मूल्य में परमेश्वर के आगे कमजोर है । हम उसके पास आते है मानते हुए की हमे उसकी आवश्यकता है और की हम उससे कुछ भी मांगने के योग्य भी नहीं है । अद्भुत वास्त्विक्ता यह है की जब हम परमेश्वर के पास ऐसे आदर और अत्यंत सम्मान के साथ आते है, वह बदले में खुले बाहों के साथ हमारा स्वागत करता है और हमे करीब लेता है। (यशायाह ५७:१५ पढ़े )

मेरी प्रार्थना...

पवित्र और धर्मी पिता, सर्वसामर्थी परमेश्वर, आपके दया, अनुग्रह, और क्षमा के लिए धन्यवाद् । आपके प्रेम, विश्वासयोग्यता और न्याय के लिए धन्यवाद् । मैं अपने घुटने पैर आपके पास आता हूँ, यह स्वीकार करते हुए की आप पवित्र, प्रतापी, समर्थ में अद्भुत और जो कुछ आप करते हो उसमे धर्मी हो। बिना आपके अनुग्रह और आपके आत्मा के वरदानो के, मैं जनता हूँ की मैं आपकी उपस्तिथि में ऐसे हियाव के साथ नहीं आ सकता हूँ। धर्मी पिता मुझे मेरे पापों के लिए क्षमा कर और मुझे समर्थ बना की मैं एक ईमानदार और अनुग्रह वाला व्यक्ति बनू। येशु के नाम से प्रार्थना करता हूँ । आमीन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

टिप्पणियाँ