आज के वचन पर आत्मचिंतन...

हमें यकीन है कि परमेश्वर हमसे प्यार करता है । वह चाहता है की हम उनके प्रेम में जिए और प्रेम के द्वारा आशीष पाए। वो प्रेम उस अनुग्रह से भी अधिक है जो हम तक पहुचा जब हमने उद्धार पाया था। परमेश्वर का प्रेम हमारे द्वारा फेलता है। दुसरों के प्रति हमारा प्रेमी व्यहवार में उसका प्रेम छुड़ाने वाला है। उसकी उपस्थिति हमारे प्रेमी व्यहवार और कार्यो के द्वारा दिखाई देता है। परमेश्वर चाहता है की अपने प्यार को दूसरों के लिए हमारे द्वारा बाटा जाए। इस प्रकार, जब हम उसे पाते है और उसको जब हम बाटते है ताब उनका प्यार हमे आशीष देता है।

मेरी प्रार्थना...

स्वरगीय पिता, मैं आपके प्यार में निर्भर हूँ। मैं इसके बिना अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकता हूँ; मैं पूरी तरह से खोजाऊंगा। हालांकि, मैं जनता हूँ पिता की आप मुझसे प्यार करते हो। मेरे भविष्य के बारे में मुझे आत्मविश्वास है,मुझे इस क्षण में पूर्ण आनंद ,और अपने पैर पे खड़े रहूँगा जब तक आपका प्रेम पूर्णता से यीशु मसीह के आगमन तक जान सके। मुझसे प्रेम करने के लिए धन्यवाद। यीशु के नाम से मैं धन्यवाद करता हूँ।अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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