आज के वचन पर आत्मचिंतन...
हाय! हमने हजारों सालों से पाप के रास्तों को जानते हैं । फिर भी हम कभी-कभी उन्ही रास्तों का अनुसरण करते हैं।हमारी आँखों को लुभानेवाली किसी भी चीज से हम बहेक जाते हैं। नजदीक से उसकी जाँच के लिए थम जाते हैं, खुदको उसकी लालसा में फस जाने देते हैं। हम उसमे फस कर उससे खेलने लगते हैं। तब हम पाप में शरीख हो जाते हैं। अंततः हम दुसरो को भी इसमें शरीख कर लेते हैं । आप सोच रहे होंगे की अबतक हमने इसके तौर तरीकों को सिख लिया होगा और रोक भी लिया होगा । तो क्यों ना, पवित्र आत्मा की सहायता से ऐसा ही करें ?
मेरी प्रार्थना...
पिता, मुझे अपने विद्रोही और पापी हृदय के लिए क्षमा करें। मैं आपके लिए पूरी तरह से जीना चाहता हूं। मैं पाप के आड़ में या सांसारिक जुनून से लुभाया नहीं करना चाहता, लेकिन मैं आपकी महिमा के लिए भावपूर्ण जीवन जीना चाहता हूं। यीशु के शक्तिशाली नाम में मैं प्रार्थना करता हूँ। अमिन ।