आज के वचन पर आत्मचिंतन...

अत्यधिक प्रतिक्रिया! येही खोजने और दिखाने के लिए हमे कार्यबद्ध किया गया है हमारे इस सभ्य और अधिक-नितबंध व्यक्तित्व से भरे आधुनिक जगत में। लेकिन वो कोमलता, सिमित अनुग्रह लड़ाइयों और गड़बड़ियों के बिच, यह बहुत जरुरी है परमेश्वर की उस शांति को हमारे लड़ाइयों से भरी कलीसियाओं में, परिवारों मे, और हम अरे सम्भानदो में लेन के लिए। हम कैसे सभ्य बने, जखमो के प्रति, अपमानो के प्रति, और हमारे रास्तो में आने वाले नजरो के प्रति अधिक गुस्से को हम कैसे रोक सकते है ? प्रभु करीब है! वह हमारी सहायता है। वह हमारा उद्धरण है। वह हमारा दिलासा है। वह हमारी आशा है। वह हमारा बल है। वह करीब है। हम अकेले नहीं और हमारी मंजिल,हमारा मान और उसूल हमारे उप्पेर नहीं की इनकी स्थापना करे या उनका बचाव करे।

मेरी प्रार्थना...

हे प्रभू,मेरे पिता परमेश्वर,कृपया मेरे एकदम भी करीब रहना जब मैं अराजकता और मेरे चारों ओर संघर्षों के बीच में एक चरित्रवान व्यक्ति होने की तलाश में हूँ । मैं मांगता हूँ कि आपकी उपस्थिति मुझे ज्ञात कि जाये और यह की मेरे चरित्र में उस उपस्थिति का प्रतिबिंभ ज्ञात हो जो कुछ भी आज मै करता हूँ और बोलता हूँ उस में, आनेवाले हर दिनों में। येशु के नाम से प्रार्थना करता हूँ। आमीन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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