आज के वचन पर आत्मचिंतन...

यीशु ना केवल मेंरे पापों के लिए मरा ; वह मेरे लिए जीता हैं । यंहातक, की वह अब भी परमेश्वर के दाहिनी हाँथ पर विराजमान होकर मुझे अपना करके घोषित कर रहा हैं (देखें १ योहाना २:१-२)। यदि वह मुझे बचाने के लिए मरने के लिए भी त्यार था, तो अब जबकि वह मृत्यु पर विजयी जीवन जी रहा हैं फिर वह क्यों कर कुछ भी रोक कर रखेंगा?

Thoughts on Today's Verse...

Jesus didn't just die for my sins; he lives for me. In fact, he is at God's right hand claiming me as his own (see 1 John 2:1-2). If he was willing to die to save me, what will he withhold now that he lives victorious over death?

मेरी प्रार्थना...

My Prayer...

Holy and Righteous Father, I thank you for Jesus who is at your side and who knows my heart, my struggles, and my world. I thank you for your constant care and protection through all of my difficulties and triumphs. Please make your presence known more clearly today than ever before as I try to serve you with wholehearted devotion. In the name of Jesus I pray. Amen.

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

Today's Verse Illustrated


Inspirational illustration of रोमिओ ५:१०

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