आज के वचन पर आत्मचिंतन...

उसने हमारे पापों को ले लिया। ना केवल उसने उन्हें लिया; उसने उस सजा को भी झेला जिसके के हकदार हम थे। उसका दर्द हमारी चंगाई थी। उसकी पीड़ा हमारी धार्मिकता थी । तो कैसे हम यह सोच भी सकते हैं की हम पाप में शामिल हो जबकि उसने हमारे लिए इतना गहरा पीड़ा झेला इसके सजा को करने के लिए ?

Thoughts on Today's Verse...

He bore our sins. He didn't just carry them; he suffered the penalty we deserved. His anguish was our healing. His suffering was our righteousness. How can we ever think of going back to sin after he suffered so much to bear its penalty?

मेरी प्रार्थना...

पवित्र परमेश्वर,आप कैसे खड़े हो के देख सकते अपने अनमोल पुत्र मेरे पापों को भोज तले दबे हुए, सब पापों को, मैं यह कभी नहीं समझ पाउँगा । आपके महान प्रेम के लिए धन्यवाद और इतने महान परमेस्वर होने के लिए ।आपकी तुलना में कोई भी नहीं हैं । ऐसा कोई भी नहीं हैं, हे परमेश्वर । आपकी महानता सोच से परेह हैं और आपका प्रेम मेरे स्वप्न से भी परेह हैं । आज मैं आपके महिमा के लिए जीऊंगा येशु के द्वारा जिसने मेरे पापो को अपने कर ले लिए की मैं आपका पुत्र बन सकू । आपके पुत्र के बहुमूल्य नाम से मैं प्रार्थना करता हूँ । आमीन ।

My Prayer...

Holy God, how you could stand to see your precious Son under the weight of my sin, all sin, I will never understand. Thank you for such great a love and for being so great a God. There is none who can be compared to you, O God. Your greatness is beyond imagining and your love beyond my dreams. I will live today to your glory through Jesus who bore my sin so I could be your child. In the precious name of your Son I pray. Amen.

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

Today's Verse Illustrated


Inspirational illustration of १ पतरस २:२४

टिप्पणियाँ