आज के वचन पर आत्मचिंतन...

बप्तिस्मा यह पानी में गीले होने से और अपने आज्ञाकारिता की सूचि में से एक और काम करने से कई जादा है। देखो, हमे जो बचाता है वह येशु की मृत्यु, गाढ़ा जाना और जी उठना है( १ कुरिन्थियों १५:१-५)। परमेश्वर ने हमे अध्भुत अनुग्रह दिया(रोमियो ६:१,१४,१५) की येशु के उद्धार के कामो में विश्वास और बपतिस्मे के अनुभव में भाग ले सके(गलातियों ३:२६-२७)। हम पुराने जीवन के तरीको में मरे और भूतकाल में गाड़ दे, वह अब हमे पकड़े नहीं है। यह वह मृत्यु है जो अधिक मायने रखती है । नए जीवन में जी उठे है, हमरा जीवन अब मसीह से जुड़ा है और उसका भविष्य हमारा अपना बनगया है ( कुलु ३:१-४)।अब जो जीवन हम जीते है वह परमेश्वर को महिमा देने के लिए और उसके साथ अनंत जीवन तक जीने के लिए । इसका मतलब सुसमाचार ना केवल प्रचार किया जाता है ; यह कुछ ऐसा है जो हम अनुग्रह से अनुभव लेते है ।

मेरी प्रार्थना...

धन्यवाद् पिता, येशु में मुझे मारो हुओ में से जिला कर आपके इस नए जीवन में लेन के लिए । येशु को भेजने में आपके अनुग्रह के लिए धन्यवाद। येशु की मृत्यु, गड़ाजाना ,और जी उठने के अनुग्रह को मेरा अनुभव बनने के लिए धयवाद जो मै लिया है। होने दे की मेरे जीवन से आपका सामर्थी अनुग्रह चमके जो मुझे दिया गया है। येशु के नाम से मैं प्रार्थना करता हूँ । अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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