आज के वचन पर आत्मचिंतन...

क्या ही अतुल्य है! उस समय भी कि जब मेरे पास शब्द न हों और मेरा ह्रदय भारी है, परमेश्वर मेरी प्रार्थना सुनता है। ऐसा इसलिए नहीं है क्योंकि मैं स्पष्ट, बुद्धिमान या पर्याप्त रूप से प्रार्थना करने के लिए वफादार हूँ जैसा मुझे करना चाहिए। नहीं, यह इसलिए है क्योंकि परमेश्वर ने कृपापूर्वक अपनी आत्मा को हमारे ह्रदय में रख दिया है ताकि यह जान सकूं कि मेरे शब्दों को कैद नहीं किया जा सकता है और मेरा दिमाग मज़बूत नहीं हो सकता है। परमेश्वर मेरी आह, मेरी अभिलाषाएं, मेरे ह्रदय का दर्द, और मेरा ह्रदय का रोना सुनता है वह जानता है कि मैं इन चीजो को सोच नहीं सकता, लेकिन केवल महसूस करता हूं पवित्र आत्मा के काम के माध्यम से, वह अपनी उपस्थिति, अनुग्रह और शक्ति के साथ उन अनगिनत प्रार्थनाओं का जवाब देता है।

Thoughts on Today's Verse...

Isn't it incredible! Even in those times that my words are blocked and my heart is heavy, God hears my prayers. It is not because I am articulate, wise, or faithful enough to pray as I should. No, it is because God has graciously placed his Spirit in our hearts to make known what my words cannot capture and my mind cannot verbalize. God hears my groanings, my yearnings, my heartbreaks, and my heart-cries. He knows what I cannot think, but only feel. Through the work of the Holy Spirit, he answers those unuttered prayers with his presence, grace, and power.

मेरी प्रार्थना...

पिता, मुझे इस बात के आश्वासन से दिलासा मिलता है कि अगर मुझे नहीं पता कि क्या कहना है, तो भी आप जानते हैं कि मैं क्या नहीं कह सकता। मुझे आप पर भरोसा है कि आप मेरी इच्छाओं को पूरा करने के लिए उत्तर देंगे जो सही हो मेरे लिए, क्योंकि आप जानते हैं कि मेरी जरूरते क्या हैं,और मुझे इसकी ज़रूरत है। यीशु के नाम में, और पवित्र आत्मा में पूर्ण विश्वास के साथ, मैं प्रार्थना करता हूँ। आमीन ।

My Prayer...

Father, I am comforted by the assurance that even if I don't know what to say, you know what I cannot articulate. I trust you to answer my longings as you see fit, for I know that you know what I need far more than I know how to ask for it. In Jesus' name, and with full confidence in the Holy Spirit, I pray. Amen.

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

Today's Verse Illustrated


Inspirational illustration of रोमियों ८:२६

टिप्पणियाँ