आज के वचन पर आत्मचिंतन...

दूसरों के प्रति आलोचक होना यह काफी आसान होता हैं । हम उनके संघर्ष नहीं जानते हैं । हम उनकी परिस्तिथियाँ नहीं जानते हैं । सबसे बढ़कर हम उनके हृदयों को नहीं जानते हैं । जब हम आलोचक होते हैं हम दूसरों के और अपने बिच में एक दीवार उठाते हैं । हम अधिकतर वही आलोचनात्मक प्रभाव दूसरों पर बकवाद चर्चों के द्वारा डालते हैं । हमारा जिद्दीपन की हम उन्हें उस आलोचनात्मक आत्मा से देखे एक दीवार कड़ी करती हैं, एक रूकावट, जो उन्हें निराश होने का और गिरने का कारन बन जाता हैं ।

Thoughts on Today's Verse...

It is so easy to be judgmental of others. We don't know their struggles. We don't know their situation. Most of all, we don't know their hearts. When we are judgmental, we erect a barrier between others and ourselves. We often spread that judgmental impression to others in gossip. Our stubborness to only view them with a judgemental spirit erects a barrier, a stumbling block, that can cause them to become discouraged and stumble.

मेरी प्रार्थना...

पिता मैं आपसे मांगता हूँ की मेरे व्यहवार दूसरों के प्रति हैं को अपने उद्धारक अनुग्रह जो आपका उनके प्रति हैं के साथ मेल खाये पुष्टि करे ।औरों की गलतियों में मैं और अधिक धीरजवन्त होना चाहता हूँ , ठीक वैसे ही जैसे आप मेरे साथ धीरजवन्त होते हैं ।मुझे क्षमा करे की मैं और अधिक उत्त्साहित करने वाला न बना जो कमजोर हैं और संघर्ष कर रहे हैं और उनके लिए आशीष बनु ऐसे रास्तों के प्रति मेरे आंखों खोल । जब मैं दूसरों के लिए रूकावट बना उन क्षणों के लिए मुझे क्षमा करे और मेरे हृदय को खोल की आपकी आशीषों को उनके साथ बाँट सकू । मुझे कृपया इस्तेमाल कर की मैं अनुग्रह का पात्र बन सकू । येशु के नाम से । आमीन ।

My Prayer...

Father, I ask you to conform my attitude toward others to match the redemptive grace you have for them. I want to be more patient with the failures of others, just as you are patient with mine. Forgive me for not being more of an encouragement to those who are weak and struggling and open my eyes to the ways I can be a blessing to them. Forgive me for those times I have been a hindrance to others and open my heart to share your blessings with them. Please use me to be an instrument of grace. In Jesus' name. Amen.

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

Today's Verse Illustrated


Inspirational illustration of रोमियों १४:१३

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