आज के वचन पर आत्मचिंतन...

सुनने में कोई नए प्रेम गीत की तरह लगता हैं, हैं ना: " तेरी करुणा जीवन से भी उत्तम हैं।" हाँ यह एक प्रेम गीत ही हैं: सिर्फ आज का या नया गीत नहीं हैं। मरुभूमि में रहते समय दाऊद ने अपनी तड़प प्रभु के प्रति जाहिर की। उसने महसूस किया की जीवन व्यर्थ होगायदि वह परमेश्वर के प्रेम के बगैर हो। कब आखरी बार आपने परमेश्वर से कहाँ की आप उससे प्रेम करते हो? कब आखरी बार आपने येशु के लिए एक प्रेम गीत गाया हो? यह मायने नहीं रखता की वह समय कितने पहले था, आज का दिन उत्तम दिन हैं परमेश्वर को बताने के लिए की उसकी करुणा आपके लिए कितनी बहुमूल्य हैं, उसका अनुग्रह आपके लिए कितना आजाद करनेवाला हैं, और उसका प्रेम आपके लिए महत्वपूर्ण हैं जीवन से भी।

मेरी प्रार्थना...

प्रेमी परमेश्वर, आपने मेरे लिए बहुत कुछ तयाग किया हैं और आपने मुझे बहुत कुछ दिया हैं। मेरे पास पर्याप्त शब्द नहीं है की मैं अपना धन्यवाद्, सरहाना और सर्व महत्वपूर्ण आपके प्रति मेरा प्रेम को प्रगट कर सकू। परन्तु मेरे समर्पण और ह्रदय के जोश को जान कर मेरे शब्दों को ग्रहण करें जब मैं कहूं, " प्रिय परमेश्वर मैं आपसे प्रेम करता हूँ।" येशु के नाम से मैं आपकी स्तुति और धन्यवाद करता हूँ। अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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