आज के वचन पर आत्मचिंतन...

यीशु ने नाज़रेथ के एक आराधनालय में उनकी सेवकाय का वर्णन करने के लिए इस वाचन को पढ़ा (पडिये लुका ४). वह सुसमाचार प्रचार करने आया था,घाव बंधने , छुटकरा देने, अनुग्रह का प्रचार करने, और उद्धार लाने के लिए. यदि यीशु ने हमें दुनिया में भेजा है जैसे पिता ने उसे भेजा (यूहन्ना 20: 21-23), तो क्या हम भी ऐसा नहीं होना चाहिए?

मेरी प्रार्थना...

अपनी आत्मा की शक्ति और ज्ञान के माध्यम से,जो मुझमें सशक्त रूप से काम करना चाहते हैं,कृपया मेरी आँखें खोलो,प्रिय प्रभू,मुझे उन लोगों को देखने में मेरी सहायता करें जिनके साथ आप मेरे मार्ग में रखे हैं जिनके साथ आप चाहते हैं कि मैं आपकी अनुग्रह, उद्धार, और आराम को साझा करूँ। यीषु के नाम से प्रार्थना मंगता हु.अमीन.

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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