आज के वचन पर आत्मचिंतन...

परमेश्वर ना केवल हमे दासत्व और पापके दाम से खरीदता है, पर वह हमे आश्वासन भी देता है की जो कोई उसपर भरोसा रखेंगे वह उन्हें शरण प्रदान करेंगा। हमारा भविष्य उससे बंधा हुआ है ना की जो हमे जरुरत हो उससे खुदके लिए उपाय करने या खुदको सुरक्षित रखने की हमारी योग्यता पर ।

मेरी प्रार्थना...

हे प्रभु, स्वर्ग और पृथ्वी के परमेश्वर मैं अपना जीवन और भविष्य आपके हांथों में सौपता हूँ । मैं आपकी इच्छा को जब पूरी करता हूँ तो कृपया मुझे इस्तेमाल करे की मैं औरों को आशीष दे सकू । येशु के नामसे मैं प्रार्थना करता हूँ। आमीन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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