आज के वचन पर आत्मचिंतन...

"मैं विश्वास करता हूं, लेकिन मेरे अविश्वास का उपाय कर।" यही कारण है कि आक्षेप लड़के के पिता ने यीशु से कहा (मरकुस 9:24)। यह कभी-कभी हमारी प्रार्थना भी होनी चाहिए। जैसा कि हम इब्रानियों 11 में विश्वास के महान नायकों को देखते हैं, हम जानते हैं कि यह उनकी प्रार्थना भी रही होगी। उनका विश्वास हमेशा सिद्ध नहीं था। उनका भरोसा हमेशा परिपक्व नहीं था। लेकिन, वे इस पर डटे रहे; वे विश्वास करते थे और अथक आश्वासन के साथ काम करते थे कि किसी तरह, परमेश्वर कार्य करेंगे और उद्धार करेंगे। आइए हम भी उस पर उसी तरह के विश्वास के साथ रहें !

मेरी प्रार्थना...

प्रिय परमेश्वर, " मैं विश्वास करता हुँ, लेकिन मेरे अविश्वास का उपाय कर ।" कृपया मेरे विश्वास को परिपक्व और सशक्त बनाएं ताकि मेरा जीवन आपकी उपस्थिति और अनुग्रह के लिए एक दृढ़ और सुसंगत गवाही बन जाए। यीशु के नाम में मैं प्रार्थना करता हूँ। आमीन !

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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