आज के वचन पर आत्मचिंतन...

परमेवश्वर विश्वासयोग्य हैं और उसकी वाचा प्रेम की वाचा हैं। वह हमें त्यागेगा नहीं और हमने हमारी योग्यता से अधिक बेहतर हमसे व्यहवार करता हैं बिलकुल वैसे ही जैसे एक माता-पिता अपने विद्रोही बचे के साथ उसकी योग्यता से अधिक व्यहवार करते हैं। परन्तु परमेश्वर को परमेश्वर का आदर हमारे हृदय से देना चाइये न केवल एक शुभ चिन्ह की तरह या फिर एक सफ्ताहिक मेहमान की तरह नहीं जो हमारी अन्यथा व्यस्त जीवन में आते हैं। जो कुछ हम करते हैं वह जानकारी में रखकर करना चाहियें उसके सामने और उसके लिए!

मेरी प्रार्थना...

विश्वासयोग्य परमेश्वर, धन्यवाद मुझे इतना त्यागपूर्ण और स्थाई प्रेम करने के लिए । धन्यवाद की आपने अपने वादे को पूरा किया जो अपने यहुदिओं से किया था और येशु को अपने वादे अनुसार भेजा। मैं आपके वादे पर भरोसा रखता हूँ की आप उसे फिर से भेजेंगे की वह मुझे आपके पास घर लेजायें।कृपया मेरे कामों और शब्दों को आज के दिन ग्रहण करें मेरे धन्यवाद् की तौर पर आपके प्रेम की वाचा के लिए मेरे साथ और जिनसे मैं प्रेम करता हूँ । आपके प्रेम के तौफे येशु के नामसे प्रार्थना करता हूँ । अमीन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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