आज के वचन पर आत्मचिंतन...

जब हम प्रेरितों के काम यह पुस्तक पढ़ते हैं, हम पते हैं की चेले सताए जाने पर आनंदमय हो जाते थे, "उस नाम के लिए." जबकि येशु ने पहले से उस भली परीक्षा को विजयी रूप से पूरा किया हैं, हमे उसके सताव में भाग लेते हुए खुद को सौभाग्यशाली समझना चाहिए, न केवल एक कठिनाई में । हमारे समर्पण का सत्य उन सन्धिवादियों को तभी दिखाई पड़ता हैं जब हम "आग में" होते हैं। सिर्फ अपने चरित्र को थामे रहे और आनंदित रहे जब अक्रम की हुआ हो, क्योकि हमने येशु के साथ देखा हैं की क्या होता हैं जब परमेश्वर के बच्चे उसके प्रति विशवासयोग्य रहते हैं यहां तक की मृत्यु तक ।

मेरी प्रार्थना...

क्या ही अनमोल नाम अपने पुत्र को दिया हैं आपने, हे प्रभु। साडी पृथ्वी पर और सम्पूर्ण स्वर्ग में उसका नाम ऊँचें पर उठाया जाये, जब तक हर दिल यह ना जान ले की वही सच्चा प्रभु हैं येशु के नाम से और उसकी महिमा के लिए प्रार्थना करता हूँ। अमिन।

आज का वचन का आत्मचिंतन और प्रार्थना फिल वैर द्वारा लिखित है। [email protected] पर आप अपने प्रशन और टिपानिया ईमेल द्वारा भेज सकते है।

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